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नरसिंह जयंती 2025: पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त

Published On : May 9, 2025  |  Author : Astrologer Pt Umesh Chandra Pant

नरसिंह जयंती 2025: पूजा-विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त और पौराणिक कथा (Narasimha Jayanti 2025: Puja Vidhi, Significance, Auspicious Muhurat, and Mythological Story)

हिंदू धर्म में नरसिंह जयंती एक प्रमुख धार्मिक पर्व है, जिसे भगवान विष्णु के चौथे दिव्य अवतार भगवान नरसिंह के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। भगवान नरसिंह आधे मनुष्य और आधे सिंह के रूप में प्रकट हुए थे। यह त्योहार हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। नरसिंह जयंती अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है।

नरसिंह जयंती 2025 (Narasimha Jayanti 2025) तिथि और शुभ मुहूर्त

नरसिंह जयंती 2025 रविवार, 11 मई को मनाई जाएगी। इस विशेष दिन के महत्वपूर्ण समय इस प्रकार हैं:
नरसिंह जयंती सयाना काल पूजा मुहूर्त: शाम 04:33 बजे से 07:12 बजे तक
नरसिंह जयंती मध्याह्न संकल्प मुहूर्त: सुबह 11:17 बजे से दोपहर 01:55 बजे तक
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 10 मई 2025, शाम 05:29 बजे से
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 11 मई 2025, शाम 08:01 बजे तक

नरसिंह जयंती (Narasimha Jayanti 2025) का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

नरसिंह जयंती (Narasimha Jayanti) का त्योहार बुराइयों और नकारात्मक शक्तियों को दूर करने का उत्तम अवसर है। इस दिन भगवान नरसिंह की पूजा-अर्चना और उपवास करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मान्यता है कि भगवान नरसिंह अपने भक्तों को हर प्रकार की विपदा और संकट से सुरक्षा प्रदान करते हैं। यह पर्व जीवन में आने वाली परेशानियों, रोग, भय और तनाव से मुक्ति दिलाता है। भगवान नरसिंह के आशीर्वाद से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं, करियर में उन्नति होती है और पारिवारिक जीवन सुख-समृद्धि से भर जाता है।

नरसिंह जयंती की पौराणिक कथा

प्राचीन काल में हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु नामक दो शक्तिशाली दैत्य हुए। भगवान विष्णु ने हिरण्याक्ष का वध किया था, जिससे हिरण्यकशिपु बहुत क्रोधित हो गया। उसने ब्रह्माजी की कठोर तपस्या कर अजेय होने का वरदान पाया। इस वरदान के बाद, हिरण्यकशिपु अत्यंत अत्याचारी हो गया। उसने स्वर्ग पर आक्रमण कर देवताओं को बंदी बना लिया और अपनी पूजा कराने लगा।

हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का परम भक्त था। पिता के लाख समझाने पर भी उसने भगवान विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ी। इससे क्रोधित हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन असफल रहा। अंततः उसने प्रह्लाद को उसकी बुआ होलिका के साथ अग्नि में बैठा दिया, होलिका को आग से न जलने का वरदान था। भगवान की कृपा से होलिका जलकर राख हो गई और प्रह्लाद सुरक्षित रहा।

गुस्से में हिरण्यकशिपु ने पूछा कि “कहां है तेरा भगवान?” प्रह्लाद ने कहा, “भगवान हर जगह हैं।” हिरण्यकशिपु ने गुस्से में पास के खंभे पर वार किया। उसी समय भगवान नरसिंह खंभे से प्रकट हुए। न वह पूर्ण मनुष्य थे और न पूर्ण पशु, उन्होंने अपने नाखूनों से हिरण्यकशिपु का वध कर धर्म की स्थापना की।

नरसिंह जयंती पूजा-विधि और मंत्र

नरसिंह जयंती की पूजा सूर्योदय से प्रारंभ होती है। भक्त सुबह जल्दी स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनते हैं। पूजा स्थल पर भगवान नरसिंह और माता लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। पूजा में चंदन, फूल, फल, नारियल और पंचामृत का प्रयोग किया जाता है। भगवान के सामने घी का दीपक जलाएं और ‘ॐ नरसिंहाय वरप्रदाय नमः’ मंत्र का जाप करें। पूजा के बाद गरीबों में दान-पुण्य करना शुभ होता है।

नरसिंह जयंती की पूजा से लाभ

नरसिंह जयंती पर श्रद्धापूर्वक पूजा करने से कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। भगवान नरसिंह की कृपा से शत्रुओं पर विजय मिलती है। कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता मिलती है। जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है और मनोबल एवं आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। भगवान नरसिंह की पूजा से आर्थिक संकट दूर होते हैं और करियर में सफलता प्राप्त होती है। घर की नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं, परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

नरसिंह जयंती पर उपवास का महत्व

नरसिंह जयंती पर भक्तों द्वारा पूरे दिन का उपवास रखा जाता है। यह उपवास संकल्प लेकर शुरू किया जाता है और शाम की पूजा के बाद व्रत खोला जाता है। उपवास से तन-मन की शुद्धि होती है, स्वास्थ्य लाभ मिलता है और भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

नरसिंह जयंती पर जागरण और भजन की महिमा

नरसिंह जयंती के दिन रात्रि जागरण का विशेष महत्व है। भक्त रातभर भगवान के भजन-कीर्तन करते हैं। ऐसा करने से भगवान नरसिंह विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी संकटों को दूर करते हैं। भजन और जागरण से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

निष्कर्ष

नरसिंह जयंती एक दिव्य अवसर है जब भक्त भगवान नरसिंह की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। इस विशेष दिन पूजा, मंत्र-जाप, दान और जागरण से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। भगवान नरसिंह के चरणों में अपनी श्रद्धा समर्पित करें और जीवन को सकारात्मकता से भर दें। नरसिंह जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।

FAQs नरसिंह जयंती (Narasimha Jayanti 2025)

प्रश्न: नरसिंह जयंती कब मनाई जाती है?
उत्तर: नरसिंह जयंती हर वर्ष वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। 2025 में यह 11 मई को पड़ेगी।

प्रश्न: नरसिंह जयंती पर पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
उत्तर: नरसिंह जयंती का सयाना काल पूजा मुहूर्त 04:33 बजे से 07:12 बजे तक है, और मध्याह्न संकल्प मुहूर्त 11:17 बजे से 01:55 बजे तक है।

प्रश्न: नरसिंह जयंती की पूजा विधि क्या है?
उत्तर: पूजा सूर्योदय से शुरू होती है, जिसमें भगवान नरसिंह और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ‘ॐ नरसिंहाय वरप्रदाय नमः’ मंत्र का जाप किया जाता है।

प्रश्न: नरसिंह जयंती पर उपवास का महत्व क्या है?
उत्तर: इस दिन उपवास से तन-मन की शुद्धि होती है और भगवान नरसिंह की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में शांति और स्वास्थ्य प्रदान करती है।

प्रश्न: नरसिंह जयंती की पूजा से कौन से लाभ होते हैं?
उत्तर: पूजा से शत्रुओं पर विजय मिलती है, आर्थिक संकट दूर होते हैं, और करियर में सफलता प्राप्त होती है। इसके अलावा, परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ती है।

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