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गुरु गोरखनाथ जयंती

Published On : April 17, 2024  |  Author : Astrologer Pt Umesh Chandra Pant

जानिए गुरु गोरखनाथ जयंती के बारे में

गुरू गोरख नाथः हिन्दू धर्म के परम पवित्र नाथ सम्प्रदायों के महान योगियों में गुरू गोरख नाथ का नाम भला कौन नहीं जानता है। यह पहली शताब्दी के पूर्व नाथ सम्प्रदाय के महान योगियों में सुमार है। इन्होंने न केलव सम्पूर्ण भारत का भ्रमण किया था। बल्कि योग एवं ध्यान तथा धर्म एवं सत्य की पताखा को बड़े ही आलौकिक ढं़ग से फहराया था। गुरू गोरख नाथ एवं नाथ सम्प्रदाय के योगियों की प्रसद्धि जगत में विख्यात है। उन्हें कौन नहीं जानता है। प्रसिद्ध गुरू गोरख नाथ का मन्दिर आज भी उत्तर-प्रदेश के गोरखपुर जिले में बड़ा ही भव्य एवं दिव्य तरीके से बना हुआ है। इन्हीं के नाम के अनुसार इस नगर का नाम गोरखपुर रख दिया गया था। इसी प्रकार और अन्य मत है। कि नेपाल के गोरखाओं का नाम भी इन्हीं के नाम से है। यानी गोरखा जिले को नेपाल में भी गोरखा कहा जाता है। तथा गोरखा जिले में गुरू गोरख नाथ के पद चिन्ह की एक गुफा होने की बातें स्वीकार कि जाती है। तथा वहाॅ उनकी एक भव्य मूर्ति भी प्रतिष्ठित कि गई है। गुरू गोरख नाथ के जन्म जयन्ती में न केवल गोरखपुर बल्कि विश्व के अनेंको देशों में जहाॅ भी इनके अनुयायी है। और इन्हें मानने वाले है। वहाॅ भण्डारों एवं उत्सवों को विशेष रूप से मनाया जाता है। और स्थान -स्थान पर मेलों का आयोजन भी किया जाता है। इनके जन्म के संबंध मे कहा जाता है, कि प्रतिवर्ष वैशाख माह की पूर्णिमा में गुरु गोरखनाथ जयंती मनाई जाती है।

गुरु गोरखनाथ के स्थानों का महत्व

गुरू गोरख नाथ के स्थान का महत्वः यद्यपि गुरू गोरख नाथ के नाम पर ही उत्तर-प्रदेश के गोरखपुर जिले को गोरखपुर कहा जता है। किन्तु इसके अतिरिक्ति इनके कई मन्दिर एवं आश्रम भी प्राप्त होते है। गुरू गोरख नाथ महान सिद्धि योगियों में है। इनके संदर्भ में कहा जाता है। कि यह राजस्थान के गोगा मेड़ी में राजस्थान हनुमानगढ़ जिले में इनकी प्रतिमा एवं साधना के अंश विद्यान होते हैं। इनकी प्रतिमाओं को सम्पूर्ण देश में आदर के साथ पूजा जाता है।  इन्होंने अनेकों रचनाओ को रचित किया था। इसे महान संत गुरू का सानिध्य बड़े ही भाग्य से प्राप्त होता है। इनकी प्रमुख रचनाओं में कुछ इस प्रकार है जैसे- पद, शिष्यादर्शन नरवै, बोध अभय मात्र जोग, पन्द्रह तिथि आदि इनकी कृतियाॅ। है इनके द्वारा प्रचारित किया गया नाथ सम्प्रदाय आज भी अपने शबाब में है। और अनेकों संत एवं साधू नाथ सम्प्रदाय की दीक्षा ग्रहण करते हैं। गुरु गोरखनाथ जयंती एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, गोरखनाथ की शिक्षाओं का जश्न मनाया जाता है।

गुरु गोरखनाथ से जुड़े अन्य विवरण

गुरू गोरख नाथ एवं अन्य तथ्यः गुरू गोरख नाथ के संबंध में अनेको ग्रन्थ उपलब्ध होते है। उनके संबंध में कई विद्वानों ने प्रकाश डाला है। और उन्हें मत्स्येन्द्रनाथ के समय का योगी माना गया है। इनके संबंध में अनेकों कथायें एवं घटनायें घटित हुयी है। जिन्हें आज भी श्रद्धा के साथ स्मरण किया जाता है। गुरू गोरख नाथ के द्वारा लिखे हुये ग्रन्थ आज भी उतने ही उपयोगी एवं महत्व पूर्ण है। ऐसा कहा जाता है। गुरू गोरख नाथ ही मत्स्येन्द्र नाथ को योग एवं ध्यान की शिक्षा दी थाी। इनकी कहनियां एवं प्रसिद्धि सम्पूर्ण विश्व में विख्यात एवं चहुओर आज भ फैली हुई है। हालांकि इनके जन्म के बारे में 1100 ई0 से पूर्व पूर्वी बंगाल में होने का अनुमान लगाया जाता है। वैसे नाथ सम्प्रदाय के संबंध मे नौवी शताब्दी मे भी वर्णन प्राप्त होता है। इनके योग एवं तप बल के सामने देवी एवं देवता भी नही टिकते थे। यह जहाॅ चाहे एवं जैसे चाहे रह सकते थे। इनके आगमन पर कांछल एवं बांछल नाम की रानियों के बागों में बहार आ गयी थी। यानी सूखी हुई बागे पुनः हरी हो गयी थी। कहते कि किसी सिद्धि महत्मा के द्वारा दी की भस्म को किसी रानी ने चुराकर रख दिया तथा अन्य किसी ने उसे गोबर में गाढ़ दिया था। जिससे देवताओं को वरदान के कारण उस गोबर से एक अद्वितीय बालक का जन्म हुआ, जिसे आगे चलकर गोरख नाथ कहा जाने लगा था। यदि यह दंत कथा की तरह ही प्रतीत होती है। किन्तु गोरख नाथ के जीवन एवं प्रसिद्धि को पढ़ने एवं फिल्मादि में देखने से यह कतई नहीं लगता कि यह बात झूठी होगी। क्योंकि इनता दिव्य तेजी सम्पन्न बालक किसी देवत्व के वरदान से ही जन्म ले सकता है।

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