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मां ब्रह्मचारिणी के बारे मे

Published On : March 31, 2025  |  Author : Astrologer Pt Umesh Chandra Pant

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा: नवरात्रि के दूसरे दिन का महत्व

नवरात्रि के पावन अवसर पर मां दुर्गा के दूसरे रूप, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-उपासना की जाती है। यह देवी तप, संयम, ज्ञान और ब्रह्मचर्य की प्रतीक हैं। मां ब्रह्मचारिणी का पूजन साधक को आत्मबल, संयम, धैर्य और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करता है। आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पौराणिक कथा और उनके दिव्य स्वरूप के बारे में…

मां ब्रह्मचारिणी का परिचय

मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी है। “ब्रह्म” का अर्थ है तप और “चारिणी” का अर्थ है आचरण करने वाली। अतः ब्रह्मचारिणी वह देवी हैं जो ब्रह्मचर्य और तप का आचरण करती हैं। यह स्वरूप अत्यंत शांति, संयम और साधना से युक्त है। मां ब्रह्मचारिणी का रूप अत्यंत तेजस्वी और दिव्य है।

इनके दाएं हाथ में जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल होता है। मां का यह स्वरूप साधकों को तप, त्याग, श्रद्धा और एकाग्रता की प्रेरणा देता है।

पौराणिक कथा: तपस्विनी सती से ब्रह्मचारिणी तक

पुराणों के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी वही हैं जो पूर्वजन्म में सती थीं और जिन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने हेतु कठिन तपस्या की थी। सती के रूप में आत्मदाह करने के पश्चात, उन्होंने हिमालयराज के घर पुनः जन्म लिया और पार्वती बनीं। इस जन्म में भी उनका उद्देश्य शिव को वर के रूप में प्राप्त करना था।

देवर्षि नारद के सुझाव पर पार्वती ने कठिन तप आरंभ किया। उन्होंने हज़ारों वर्षों तक केवल फल-फूल खाकर, फिर पत्ते छोड़कर, और अंत में निराहार रहकर कठोर तप किया। तप की अंतिम अवस्था में उन्होंने पूरी तरह से जल और अन्न का त्याग कर दिया।

इस कठिन साधना से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि वे शिव से विवाह करेंगी। इस तपस्विनी रूप में ही वे ब्रह्मचारिणी कहलाईं।

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप

1. मां का तेजस्वी रूप अत्यंत शांति और साधना से भरपूर है।
2. उनके दाएं हाथ में रुद्राक्ष की माला है, जो ध्यान और जप का प्रतीक है।
3. बाएं हाथ में कमंडल है, जो संयम और साधना का द्योतक है।
4. वे नंगे पांव भ्रमण करती हैं, जो तप की पराकाष्ठा को दर्शाता है।
5. इनका मुखमंडल अत्यंत शांत, सौम्य और आध्यात्मिक प्रकाश से प्रकाशित होता है।

मां ब्रह्मचारिणी की उपासना का महत्व

मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से साधक को तप, त्याग, संयम, आत्मबल, और श्रद्धा की प्राप्ति होती है। यह देवी जीवन में कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती हैं। नवरात्रि के दूसरे दिन इनकी पूजा से साधना की नींव मजबूत होती है।

जो व्यक्ति एकाग्रता, पढ़ाई, तपस्या, या मानसिक स्थिरता प्राप्त करना चाहता है, उसके लिए यह देवी विशेष कल्याणकारी हैं।

मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र

ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः।
या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

FAQs – मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से जुड़ी जानकारी

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा कब की जाती है?
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है।

मां ब्रह्मचारिणी किसकी प्रतीक हैं?
वे तप, संयम, आत्मबल, ज्ञान और ब्रह्मचर्य की प्रतीक हैं।

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप कैसा है?
इनके दाएं हाथ में जपमाला, बाएं हाथ में कमंडल होता है, और वे नंगे पांव चलती हैं।

मां ब्रह्मचारिणी की पौराणिक कथा क्या है?
यह वही देवी हैं जो पूर्व जन्म में सती थीं और कठिन तप से भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया।

मां ब्रह्मचारिणी की उपासना का क्या लाभ है?
उनकी उपासना से आत्मबल, संयम, श्रद्धा और साधना में स्थिरता प्राप्त होती है।

किसके लिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है?
जो व्यक्ति एकाग्रता, पढ़ाई, या मानसिक स्थिरता चाहता है, उसके लिए यह पूजा लाभकारी है।

मां ब्रह्मचारिणी का मुख्य मंत्र कौन-सा है?
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः।

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